Monday, 22 August 2011

सरल उपायों से करें दरिद्रता दूर




प्रत्येक व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा धन कमाने का हरसंभव प्रयास करता है। इन प्रयासों में कुछ व्यक्ति सफ हो जाते हैं और कुछ सफल नहीं हो पाते। जो सफल नहीं हो पाते वे और प्रयास करते हैं। हम आपको यहां कुछ ऎसे सरल उपाय बता रहें जिनकों करने से फल अवश्य प्राप्त होगा।

...1.
प्रत्येक गुरूवार को तुलसी के पौधे में दूध अर्पित करने से आर्थिक संपन्नता में वृद्धि होती है।

2.
शुक्लपक्ष की पंचमी को घर में श्रीसूक्त की ऋचाओं के साथ आहुति देने से भी दरिद्रता दूर होती है।

3.
भोजन करने से पहले गाय, कुत्ते या कौवे के लिए एक रोटी निकाल दें। ऎसा करने से आपको कभी भी आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पडेगा।

4.
महीने के पहले बुधवार को रात में कच्ची हल्दी की गांठ बांधकर भगवान कृष्ण को अर्पित करें। अगले दिन उसे पीले धागे में बांधकर अपनी दाहिनी भुजा में बांध लें।

5.
गूलर की जड को कपडे में लपेटकर, चांदी के कवच में डाल के गले में पहनने से भी आर्थिक संपन्नता आती है।

6.
अपनी तिजारी में 9 लक्ष्मीकारक कौडियां और एक तांबे का सिक्का रखने से आपकी तिजोरी में धन हमेशा भरा रहेगा।

7.
नियमित रूप से केले के पेड में जल अर्पित करने और घी का दीपक जलाने से दरिद्रता दूर होती है।

8.
शनिवार को अपने पलंग के नीचे एक बर्तन में सरसों का तेल रखें। अगले दिन उस तेल में उडद की दाल के गुलगुले बनाकर कुत्तों और गरीबों को खिलाने से गरीबी दूर होती है और लक्ष्मी का आगमन होता है।
ये उपाय श्रद्धापूवक करने पर आपको कुछ ही समय में इसके अच्छे परिणाम मिलने लग जाएंगे।
 

Monday, 15 August 2011

बाजारू आइसक्रीम-कितनी खतरनाक, कितनी अखाद्य ?

आइसक्रीम के निर्माण में जो भी सामग्रीयाँ प्रयुक्त की जाती हैं उनमें एक भी वस्तु ऐसी नहीं है जो हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न डालती हो। इसमें कच्ची सामग्री के तौर पर अधिकांशतः हवा भरी रहती है। शेष 30 प्रतिशत बिना उबला हुआ और बिना छाना हुआ पानी, 6 प्रतिशत पशुओं की चर्बी तथा 7 से 8 प्रतिशत शक्कर होती है। ये सब पदार्थ हमारे तन-मन को दूषित करने वाले शत्रु ही तो हैं।

इसके अतिरिक्त आइसक्रीम में ऐसे अनेक रासायनिक पदार्थ भी मिलाये जाते हैं जो किसी जहर से कम नहीं होते। जैसे पेपरोनिल, इथाइल एसिटेट, बुट्राडिहाइड, एमिल एसिटेट, नाइट्रेट आदि। उल्लेखनीय है कि इनमें से पेपरोनिल नामक रसायन कीड़े मारने की दवा के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। इथाइल एसिटेट के प्रयोग से आइसक्रीम में अनानास जैसा स्वाद आता है परन्तु इसके वाष्प के प्रभाव से फेफड़े, गुर्दे एवं दिल की भयंकर बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं। ऐसे ही शेष रसायनिक पदार्थों के भी अलग-अलग दुष्प्रभाव पड़ते हैं।

आइसक्रीम का निर्माण एक अति शीतल कमरे में किया जाता है। सर्वप्रथम चर्बी को सख्त करके रबर की तरह लचीला बनाया जाता है ताकि जब हवा भरी जाये तो वह उसमें समा सके। फिर चर्बीयुक्त इस मिश्रण को आइसक्रीम का रूप देने के लिए इसमें ढेर सारी अन्य हानिकारक वस्तुएँ भी मिलाई जाती हैं। इनमें एक प्रकार का गोंद भी होता है जो चर्बी से मिलने पर आइसक्रीम को चिपचिपा तथा धीरे-धीरे पिघलनेवाला बनाता है। यह गोंद जानवरों के पूँछ, नाक, थन आदि अंगों को उबाल कर बनाया जाता है।

इस प्रकार अनेक अखाद्य पदार्थों के मिश्रण को फेनिल बर्फ लगाकर एक दूसरे शीतकक्ष में ले जाया जाता है। वहाँ इसे अलग-अलग आकार के आकर्षक पैकेटों में भरा जाता है।

एक कमरे से दूसरे तक ले जाने की प्रक्रिया में कुछ आइसक्रीम फर्श पर भी गिर जाती है। मजदूरों के जूतों तले रौंदे जाने से कुछ समय बाद उनमें से दुर्गन्ध आने लगती है। अतः उसे छिपाने के लिये चाकलेट आइसक्रीम तैयार की जाती है।

क्या आपका पेट कोई गटर या कचरापेटी है, जिसमें आप ऐसे पदार्थ डालते हैं। ज़रा सोचिए तो?
                                                  

Sunday, 14 August 2011

लेडी मार्टिन के सुहाग की रक्षा करने अफगानिस्तान में प्रकटे शिवजी( सत्य घटना )









 
साधू संग संसार में, दुर्लभ मनुष्य शरीर |
सत्संग सवित तत्व है, त्रिविध ताप की पीर ||

मानव-देह मिलना दुर्लभ है और मिल भी जाय तो आधिदैविक, आधिभौतिक और आध्यात्मिक ये तीन ताप मनुष्य को तपाते रहते है | किंतु मनुष्य-देह में भी पवित्रता हो, सच्चाई हो, शुद्धता हो और साधु-संग मिल जाय तो ये त्रिविध ताप मिट जाते हैं |

सन १८७९ की बात है | भारत में ब्रिटिश शासन था, उन्हीं दिनों अंग्रेजों ने अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया | इस युद्ध का संचालन आगर मालवा ब्रिटिश छावनी के लेफ़्टिनेंट कर्नल मार्टिन को सौंपा गया था | कर्नल मार्टिन समय-समय पर युद्ध-क्षेत्र से अपनी पत्नी को कुशलता के समाचार भेजता रहता था | युद्ध लंबा चला और अब तो संदेश आने भी बंद हो गये | लेडी मार्टिन को चिंता सताने लगी कि 'कहीं कुछ अनर्थ न हो गया हो, अफगानी सैनिकों ने मेरे पति को मार न डाला हो | कदाचित पति युद्ध में शहीद हो गये तो मैं जीकर क्या करूँगी ?'-यह सोचकर वह अनेक शंका-कुशंकाओं से घिरी रहती थी | चिन्तातुर बनी वह एक दिन घोड़े पर बैठकर घूमने जा रही थी | मार्ग में किसी मंदिर से आती हुई शंख व मंत्र ध्वनि ने उसे आकर्षित किया | वह एक पेड़ से अपना घोड़ा बाँधकर मंदिर में गयी | बैजनाथ महादेव के इस मंदिर में शिवपूजन में निमग्न पंडितों से उसने पूछा :"आप लोग क्या कर रहे हैं ?" एक व्रद्ध ब्राह्मण ने कहा : " हम भगवान शिव का पूजन कर रहे हैं |" लेडी मार्टिन : 'शिवपूजन की क्या महत्ता है ?' ब्राह्मण :'बेटी ! भगवान शिव तो औढरदानी हैं, भोलेनाथ हैं | अपने भक्तों के संकट-निवारण करने में वे तनिक भी देर नहीं करते हैं | भक्त उनके दरबार में जो भी मनोकामना लेकर के आता है, उसे वे शीघ्र पूरी करते हैं, किंतु बेटी ! तुम बहुत चिन्तित और उदास नजर आ रही हो ! क्या बात है ?" लेडी मार्टिन :" मेरे पतिदेव युद्ध में गये हैं और विगत कई दिनों से उनका कोई समाचार नहीं आया है | वे युद्ध में फँस गये हैं या मारे गये है, कुछ पता नहीं चल रहा | मैं उनकी ओर से बहुत चिन्तित हूँ |" इतना कहते हुए लेडी मार्टिन की आँखे नम हो गयीं | ब्राह्मण : "तुम चिन्ता मत करो, बेटी ! शिवजी का पूजन करो, उनसे प्रार्थना करो, लघुरूद्री करवाओ | भगवान शिव तुम्हारे पति का रक्षण अवश्य करेंगे | "

पंडितों की सलाह पर उसने वहाँ ग्यारह दिन का 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र से लघुरूद्री अनुष्ठान प्रारंभ किया तथा प्रतिदिन भगवान शिव से अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना करने लगी कि "हे भगवान शिव ! हे बैजनाथ महादेव ! यदि मेरे पति युद्ध से सकुशल लौट आये तो मैं आपका शिखरबंद मंदिर बनवाऊँगी |" लघुरूद्री की पूर्णाहुति के दिन भागता हुआ एक संदेशवाहक शिवमंदिर में आया और लेडी मार्टिन को एक लिफाफा दिया | उसने घबराते-घबराते वह लिफाफा खोला और पढ़ने लगी |

पत्र में उसके पति ने लिखा था :"हम युद्ध में रत थे और तुम तक संदेश भी भेजते रहे लेकिन आक पठानी सेना ने घेर लिया | ब्रिटिश सेना कट मरती और मैं भी मर जाता | ऐसी विकट परिस्थिति में हम घिर गये थे कि प्राण बचाकर भागना भी अत्याधिक कठिन था | इतने में मैंने देखा कि युद्धभूमि में भारत के कोई एक योगी, जिनकी बड़ी लम्बी जटाएँ हैं, हाथ में तीन नोंकवाला एक हथियार (त्रिशूल) इतनी तीव्र गति से घुम रहा था कि पठान सैनिक उन्हें देखकर भागने लगे | उनकी कृपा से घेरे से हमें निकलकर पठानों पर वार करने का मौका मिल गया और हमारी हार की घड़ियाँ अचानक जीत में बदल गयीं | यह सब भारत के उन बाघाम्बरधारी एवं तीन नोंकवाला हथियार धारण किये हुए (त्रिशूलधारी) योगी के कारण ही सम्भव हुआ | उनके महातेजस्वी व्यक्तित्व के प्रभाव से देखते-ही-देखते अफगानिस्तान की पठानी सेना भाग खड़ी हुई और वे परम योगी मुझे हिम्मत देते हुए कहने लगे | घबराओं नहीं | मैं भगवान शिव हूँ तथा तुम्हारी पत्नी की पूजा से प्रसन्न होकर तुम्हारी रक्षा करने आया हूँ, उसके सुहाग की रक्षा करने आया हूँ |"
पत्र पढ़ते हुए लेडी मार्टिन की आँखों से अविरत अश्रुधारा बहती जा रही थी, उसका हृदय अहोभाव से भर गया और वह भगवान शिव की प्रतिमा के सम्मुख सिर रखकर प्रार्थना करते-करते रो पड़ी | कुछ सप्ताह बाद उसका पति कर्नल मार्टिन आगर छावनी लौटा | पत्नी ने उसे सारी बातें सुनाते हुए कहा : "आपके संदेश के अभाव में मैं चिन्तित हो उठी थी लेकिन ब्राह्मणों की सलाह से शिवपूजा में लग गयी और आपकी रक्षा के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करने लगी | उन दुःखभंजक महादेव ने मेरी प्रार्थना सुनी और आपको सकुशल लौटा दिया |" अब तो पति-पत्नी दोनों ही नियमित रूप से बैजनाथ महादेव के मंदिर में पूजा-अर्चना करने लगे | अपनी पत्नी की इच्छा पर कर्नल मार्टिन मे सन १८८३ में पंद्रह हजार रूपये देकर बैजनाथ महादेव मंदिर का जीर्णोंद्वार करवाया, जिसका शिलालेख आज भी आगर मालवा के इस मंदिर में लगा है | पूरे भारतभर में अंग्रेजों द्वार निर्मित यह एकमात्र हिन्दू मंदिर है |

यूरोप जाने से पूर्व लेडी मार्टिन ने पड़ितों से कहा : "हम अपने घर में भी भगवान शिव का मंदिर बनायेंगे तथा इन दुःख-निवारक देव की आजीवन पूजा करते रहेंगे |"

भगवान शिव में... भगवान कृष्ण में... माँ अम्बा में... आत्मवेत्ता सदगुरू में.. सत्ता तो एक ही है | आवश्यकता है अटल विश्वास की | एकलव्य ने गुरूमूर्ति में विश्वास कर वह प्राप्त कर लिया जो अर्जुन को कठिन लगा | आरूणि, उपमन्यु, ध्रुव, प्रहलाद आदि अन्य सैकड़ों उदारहण हमारे सामने प्रत्यक्ष हैं | आज भी इस प्रकार का सहयोग हजारों भक्तों को, साधकों को भगवान व आत्मवेत्ता सदगुरूओं के द्वारा निरन्तर प्राप्त होता रहता है | आवश्यकता है तो बस, केवल विश्वास की |

महामृत्युंजय मंत्र


ॐ हौं जूँ सः |
ॐ भूर्भुवः स्वः |
त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम |
उर्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात |
स्वः भ्वः भुः ॐ |
सः जूँ हौं ॐ |

भगवान शिव का यह महामृत्युंजय जपने से अकाल मृत्यु तो टलती ही है, आरोग्यता की भी प्राप्ति होती है | स्नान करते समय शरीर पर लोटे से पानी डालते वक्त इस मंत्र का जप करने से स्वास्थ्य-लाभ होता है | दूध में निहारते हुए इस मंत्र का जाप किया जाय और फिर वह दूध पी लिया जय तो यौवन की सुरक्षा में भी सहायता मिलती है | आजकल की तेज रफ़्तारवाली जिन्दगी में कहाँ आतंक, उपद्रव, दुर्घटना हो जाय, कहना मुश्किल है | घर से निकलते समय एक बार यह मंत्र जपनेवाला इन उपद्र्वों से सुरक्षित रहता है और सुरक्षित घर लौटता है | (इस मंत्रानुष्ठान के विधि-विधान की विस्तृत जानकारी के लिए आश्रम द्वारा प्रकाशित 'आरोग्यनिधि' पुस्तक पढ़ें |) 'श्रीमदभागवत' के आठ्वें स्कंध में तीसरे अध्याय के श्लोक १ से ३३ तक में वर्णित 'गजेन्द्रमोक्ष' स्तोत्र का पाठ करने से तमाम विध्न दूर होते हैं |