Thursday 11 August 2011

विश्व के ज्योतिषियों तथा भविष्यदृष्टाओं द्वारा की गई भविष्यवाणियाँ


1) इंगलैंड के ज्योतिषी ’कीरो‘ ने सन् १९२५ में लिखी पुस्तक में भविष्यवाणी की है “सन् २००० से पूर्व ही, विश्व के महाविनाश के बाद एक नई सभ्यता सम्पूर्ण विश्व में फैल जावेगी। भारत का एक व्यक्ति सारे संसार में ज्ञान-क्रांति ला देगा”।

2) भविष्यवक्ता “श्री वेजीलेटिन” के अनुसार २०वीं सदी के उत्तरार्द्ध में विश्व में अतिवृष्टि, अनावृष्टि, उल्कापात, विस्फोट आदि प्राकृतिक प्रकोप देखने को मिलेंगे। परन्तु बाद में भारत से उत्पन्न हुई शान्ति, भ्रातृभाव पर आधारित नई सभ्यता, संसार में, देश, प्रांत और जाति की सीमायें तोडकर विश्वभर में अमन व चैन उत्पन्न करेगी”।


3) अमरीका की महिला भविष्यवक्ता “जीन डिक्सन” के अनुसार २०वीं सदी के अन्त से पहले विश्व में घोर नर-संहार होगा। युद्ध के बाद आध्यात्मिकता पर आधारित एक नई सभ्यता सम्भवतः भारत के एक ग्रामीण परिवार के व्यक्ति के नेतृत्व में जगगी और संसार से युद्ध को सदा सदा के लिये विदा कर देगी”।


4) अमरीका के “श्री एण्डरसन” के अनुसार २०वीं सदी के अन्त से पहले विश्व में भारी नर-संहार होगा। इस बीच भारत के एक देहात का एक “धार्मिकव्यक्ति” एक मानव, “एक भाषा एक झंडा” की रूपरेखा का संविधान बनाकर संसार को सदाचार उदारता, मानवीय सेवा व प्यार का सबक देगा। यह मसीहा सन् १९९९ तक विश्व में आगे आने वाले हजारों वर्षों के लिये धर्म व सुख-शांति भर देगा”।


5) हॉलैण्ड के भविष्यदृष्टा “श्री गेरार्ड क्राइसे” के अनुसार २०वीं सदी के अन्त से पहले भयंकर युद्ध के कारण कई देशों का अस्तित्व ही मिट जावेगा। परन्तु भारत का एक महापुरुष सम्पूर्ण विश्व को मानवता के एक सूत्र में बाँध देगा व हिंसा, फूट, दुराचार, कपट आदि संसार से सदा के लिये मिट जावेगा।


6) अमरीका के भविष्यवक्ता “श्री चार्ल्स क्लार्क” के अनुसार २०वीं सदी के अन्त से पहले भारत विज्ञान की उन्नति में सब देशों को पछाड देगा, परन्तु भारत की प्रतिष्ठा विशेषकर इसके धर्म और दर्शन से होगी,जिसे पूरा विश्व अपना लेगा। यह धार्मिक क्रान्ति सन् २००० से पहले-पहले सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित कर लेगी। और मानव को आध्यात्मिकता पर विवश कर देगी।


7) हंगरी की महिला ज्योतिषी “बोरिस्का” के अनुसार सन २००० से पहले-पहले उग्र परिस्थितियों हत्या और लूटमार के बीच ही मानवीय सद्गुणों का विकास एक भारतीय फरिश्ते के द्वारा भौतिकवाद से सफल संघर्ष के फलस्वरूप होगा, जो चिरस्थाई रहेगा, व इस आध्यात्मिक व्यक्ति के बडी संख्या में छोटे-छोटे लोग ही अनुयाई बनकर भौतिकवाद को आध्यात्मवाद में बदल देंगे।


8 ) फ्रांस के “डॉ. जूलर्वन” के अनुसार सन् १९९० के बाद योरोपीय देश भारत की धार्मिक सभ्यता की ओर तेजी से झुकेंगे। सन् २००० तक विश्व की आबादी ६४० करेाड के आसपास होगी। भारत से उठी ज्ञान की धार्मिक क्रान्ति नास्तिकता का नाश करके आँधी तूफान की तरह सम्पूर्ण विश्व को ढक लेगी। उस भारतीय महान आध्यात्मिक व्यक्ति के अनुयाई देखते-देखते एक संस्था के रूप में “आत्मशक्ति” से सम्पूर्ण विश्व पर प्रभाव जमा लेंगे।



9) फ्रांस के “श्री नास्त्रेदमस”के अनुसार “विश्व भर में सैनिक क्रान्तियों के बाद थोडे से ही अच्छे लोग संसार को अच्छा बनाऐंगे। जिनका महान धर्मनिष्ठ विश्वविख्यात नेता २०वीं सदी के अन्त और २१वीं सदी के शुरू में, किसी पूर्वी देश से जन्म लेकर भ्रातृवृत्ति व सौजन्यता द्वारा सारे विश्व को एकता के सूत्र में बांध देगा”। साथ ही कहा कि भारत का धर्म समुद्र पार दूसरों पर छा जायेगा “तीन ओर से पानी से घिरी हुई भूमि में वृहस्पतिवार की पूजा करने वाले बहादुर उठ खडे होंगे। उनकी शक्ति, यश तथा नियम जल-थल में फैलेंगे और उन्हें पूरब में सीमित करना असम्भव होगा”।




10) इजराइल के “प्रो. हरारे” के अनुसार भारत देश का एक दिव्य महापुरुष मानवताबादी विचारों से सन् २००० से पहले पहले आध्यात्मिक क्रान्ति की जडें मजबूत कर लेगा व सारे विश्व को उसके विचार सुनने को बाध्य होना पडेगा। भारत के अधिकतर राज्यों में राष्ट्रपति शासन होगा, पर बाद में नेतृत्व धर्मनिष्ठ वीर लोगों पर होगा जो एक धार्मिक संगठन के आश्रित होंगे।


11) नार्वे के “श्री आनन्दाचार्य” की भविष्यवाणी के अनुसार सन् १९७१ के बाद एक शक्तिशाली धार्मिक संस्था भारत में प्रकाश में आवेगी, जिसके स्वामी एक ग्रहस्थ व्यक्ति की आचार संहिता का पालन सम्पूर्ण विश्व करेगा। धीरे-धीरे भारत औद्योगिक धार्मिक और आर्थिक दृष्टि से विश्व का नेतृत्व करेगा और उसका विज्ञान ही पूरे विश्व को मान्य होगा।

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