~~~~~ ऐसी दिवाली मनाते हैं पूज्य बापूजी ~~~~~
पूज्य बापू जी दिवाली के दिनों में घूम-घूम कर जाते हैं उन आदिवासियों के पास, उन गरीब, बेसहारा, निराश्रितों के पास जिनके पास रहने को मकान नहीं, पहनने को वस्त्र नहीं, खाने को रोटी नहीं ! कैसे मना सकते हैं ऐसे लोग दिवाली? लेकिन पूज्य बापू द्वारा आयोजन होता है विशाल भंडारों का, जिसमें ऐसे सभी लोगों को इकट्ठा कर मिठाइयाँ, फल, वस्त्र, बर्तन, दक्षिणा, अन्न आदि का वितरण होता है।
पूज्य बापू जी दिवाली के दिनों में घूम-घूम कर जाते हैं उन आदिवासियों के पास, उन गरीब, बेसहारा, निराश्रितों के पास जिनके पास रहने को मकान नहीं, पहनने को वस्त्र नहीं, खाने को रोटी नहीं ! कैसे मना सकते हैं ऐसे लोग दिवाली? लेकिन पूज्य बापू द्वारा आयोजन होता है विशाल भंडारों का, जिसमें ऐसे सभी लोगों को इकट्ठा कर मिठाइयाँ, फल, वस्त्र, बर्तन, दक्षिणा, अन्न आदि का वितरण होता है।
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