Thursday, 6 October 2011
Monday, 22 August 2011
सरल उपायों से करें दरिद्रता दूर
प्रत्येक व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा धन कमाने का हरसंभव प्रयास करता है। इन प्रयासों में कुछ व्यक्ति सफ हो जाते हैं और कुछ सफल नहीं हो पाते। जो सफल नहीं हो पाते वे और प्रयास करते हैं। हम आपको यहां कुछ ऎसे सरल उपाय बता रहें जिनकों करने से फल अवश्य प्राप्त होगा।
...1. प्रत्येक गुरूवार को तुलसी के पौधे में दूध अर्पित करने से आर्थिक संपन्नता में वृद्धि होती है।
2. शुक्लपक्ष की पंचमी को घर में श्रीसूक्त की ऋचाओं के साथ आहुति देने से भी दरिद्रता दूर होती है।
3. भोजन करने से पहले गाय, कुत्ते या कौवे के लिए एक रोटी निकाल दें। ऎसा करने से आपको कभी भी आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पडेगा।
4. महीने के पहले बुधवार को रात में कच्ची हल्दी की गांठ बांधकर भगवान कृष्ण को अर्पित करें। अगले दिन उसे पीले धागे में बांधकर अपनी दाहिनी भुजा में बांध लें।
5. गूलर की जड को कपडे में लपेटकर, चांदी के कवच में डाल के गले में पहनने से भी आर्थिक संपन्नता आती है।
6. अपनी तिजारी में 9 लक्ष्मीकारक कौडियां और एक तांबे का सिक्का रखने से आपकी तिजोरी में धन हमेशा भरा रहेगा।
7. नियमित रूप से केले के पेड में जल अर्पित करने और घी का दीपक जलाने से दरिद्रता दूर होती है।
8. शनिवार को अपने पलंग के नीचे एक बर्तन में सरसों का तेल रखें। अगले दिन उस तेल में उडद की दाल के गुलगुले बनाकर कुत्तों और गरीबों को खिलाने से गरीबी दूर होती है और लक्ष्मी का आगमन होता है।
ये उपाय श्रद्धापूवक करने पर आपको कुछ ही समय में इसके अच्छे परिणाम मिलने लग जाएंगे।
प्रत्येक व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा धन कमाने का हरसंभव प्रयास करता है। इन प्रयासों में कुछ व्यक्ति सफ हो जाते हैं और कुछ सफल नहीं हो पाते। जो सफल नहीं हो पाते वे और प्रयास करते हैं। हम आपको यहां कुछ ऎसे सरल उपाय बता रहें जिनकों करने से फल अवश्य प्राप्त होगा।
...1. प्रत्येक गुरूवार को तुलसी के पौधे में दूध अर्पित करने से आर्थिक संपन्नता में वृद्धि होती है।
2. शुक्लपक्ष की पंचमी को घर में श्रीसूक्त की ऋचाओं के साथ आहुति देने से भी दरिद्रता दूर होती है।
3. भोजन करने से पहले गाय, कुत्ते या कौवे के लिए एक रोटी निकाल दें। ऎसा करने से आपको कभी भी आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पडेगा।
4. महीने के पहले बुधवार को रात में कच्ची हल्दी की गांठ बांधकर भगवान कृष्ण को अर्पित करें। अगले दिन उसे पीले धागे में बांधकर अपनी दाहिनी भुजा में बांध लें।
5. गूलर की जड को कपडे में लपेटकर, चांदी के कवच में डाल के गले में पहनने से भी आर्थिक संपन्नता आती है।
6. अपनी तिजारी में 9 लक्ष्मीकारक कौडियां और एक तांबे का सिक्का रखने से आपकी तिजोरी में धन हमेशा भरा रहेगा।
7. नियमित रूप से केले के पेड में जल अर्पित करने और घी का दीपक जलाने से दरिद्रता दूर होती है।
8. शनिवार को अपने पलंग के नीचे एक बर्तन में सरसों का तेल रखें। अगले दिन उस तेल में उडद की दाल के गुलगुले बनाकर कुत्तों और गरीबों को खिलाने से गरीबी दूर होती है और लक्ष्मी का आगमन होता है।
ये उपाय श्रद्धापूवक करने पर आपको कुछ ही समय में इसके अच्छे परिणाम मिलने लग जाएंगे।
Monday, 15 August 2011
बाजारू आइसक्रीम-कितनी खतरनाक, कितनी अखाद्य ?
आइसक्रीम के निर्माण में जो भी सामग्रीयाँ प्रयुक्त की जाती हैं उनमें एक भी वस्तु ऐसी नहीं है जो हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न डालती हो। इसमें कच्ची सामग्री के तौर पर अधिकांशतः हवा भरी रहती है। शेष 30 प्रतिशत बिना उबला हुआ और बिना छाना हुआ पानी, 6 प्रतिशत पशुओं की चर्बी तथा 7 से 8 प्रतिशत शक्कर होती है। ये सब पदार्थ हमारे तन-मन को दूषित करने वाले शत्रु ही तो हैं।
इसके अतिरिक्त आइसक्रीम में ऐसे अनेक रासायनिक पदार्थ भी मिलाये जाते हैं जो किसी जहर से कम नहीं होते। जैसे पेपरोनिल, इथाइल एसिटेट, बुट्राडिहाइड, एमिल एसिटेट, नाइट्रेट आदि। उल्लेखनीय है कि इनमें से पेपरोनिल नामक रसायन कीड़े मारने की दवा के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। इथाइल एसिटेट के प्रयोग से आइसक्रीम में अनानास जैसा स्वाद आता है परन्तु इसके वाष्प के प्रभाव से फेफड़े, गुर्दे एवं दिल की भयंकर बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं। ऐसे ही शेष रसायनिक पदार्थों के भी अलग-अलग दुष्प्रभाव पड़ते हैं।
आइसक्रीम का निर्माण एक अति शीतल कमरे में किया जाता है। सर्वप्रथम चर्बी को सख्त करके रबर की तरह लचीला बनाया जाता है ताकि जब हवा भरी जाये तो वह उसमें समा सके। फिर चर्बीयुक्त इस मिश्रण को आइसक्रीम का रूप देने के लिए इसमें ढेर सारी अन्य हानिकारक वस्तुएँ भी मिलाई जाती हैं। इनमें एक प्रकार का गोंद भी होता है जो चर्बी से मिलने पर आइसक्रीम को चिपचिपा तथा धीरे-धीरे पिघलनेवाला बनाता है। यह गोंद जानवरों के पूँछ, नाक, थन आदि अंगों को उबाल कर बनाया जाता है।
इस प्रकार अनेक अखाद्य पदार्थों के मिश्रण को फेनिल बर्फ लगाकर एक दूसरे शीतकक्ष में ले जाया जाता है। वहाँ इसे अलग-अलग आकार के आकर्षक पैकेटों में भरा जाता है।
एक कमरे से दूसरे तक ले जाने की प्रक्रिया में कुछ आइसक्रीम फर्श पर भी गिर जाती है। मजदूरों के जूतों तले रौंदे जाने से कुछ समय बाद उनमें से दुर्गन्ध आने लगती है। अतः उसे छिपाने के लिये चाकलेट आइसक्रीम तैयार की जाती है।
क्या आपका पेट कोई गटर या कचरापेटी है, जिसमें आप ऐसे पदार्थ डालते हैं। ज़रा सोचिए तो?
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